लोगों की राय

बी एस-सी - एम एस-सी >> बीएससी सेमेस्टर-1 जन्तु विज्ञान

बीएससी सेमेस्टर-1 जन्तु विज्ञान

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2022
पृष्ठ :180
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2657
आईएसबीएन :0

Like this Hindi book 0

बीएससी सेमेस्टर-1 जन्तु विज्ञान

प्रश्न- उपयुक्त आरेखों के साथ गुणसूत्र आकारिकी व परासंरचना का वर्णन कीजिए।

अथवा
गुणसूत्र की आकारिकी व परासंरचना का वर्णन कीजिए।
सम्बन्धित लघु उत्तरीय प्रश्न
1. गुणसूत्र बिन्दु की स्थिति के अनुरूप गुणसूत्र कितने प्रकार के होते हैं?
2. क्रोमेटिड, क्रोमोनिमा सेन्ट्रोमीयर, क्रोमोमियर की परिभाषा लिखिए।

उत्तर -

क्रोमोसोम्स या गुणसूत्र
(Chromosomes)

गुणसूत्र गहरे अभिरंजित जीवद्रव्य काय है जो केन्द्रक में स्थिति होते हैं। ये कोशिका विभाजन की मध्यावस्था (metaphase) के समय स्पष्ट रचनाओं के समान प्रतीत होते हैं। अन्तरावस्था में ये क्रोमेटिन के महीन धागों के गुंथे हुए जाल के समान प्रतीत होते हैं। गुणसूत्रों में स्वतः द्विगुणन की क्षमता होती है और अनेक विभाजनों के बाद भी ये अपनी आकारिक एवं क्रियात्मक विशिष्टतायें बनाये रखते हैं।

कोशिका विभाजन (Cell - division) के समय क्रोमेटिन रेटीकुलम के ये धागे छोटे-छोटे टुकड़ों के रूप में संघनित या स्पष्ट होकर समान रचनाओं के रूप में अलग हो जाते हैं और गहरा स्टेन लेते हैं। सन् 1888 में वाल्डेयर (W. Waldeyer) ने कोशिका विभाजन के समय, न्यूक्लियस में पायी जाने वाली और गहरा स्टेन लेने वाली इन्हीं धागों या छड़ों के समान रचनाओं को क्रोमोसोम्स का नाम दिया। इनमें स्वतः द्विगुणन (self-duplication) की क्षमता होती है तथा अनेक विभाजनों के बाद भी ये अपनी आकारिक तथा क्रियात्मक विशिष्टताएँ बनाये रखते हैं। क्रोमोसोम्स जीन्स वाहक रचनाएँ हैं जो आनुवंशिक लक्षणों (hereditary characters) को एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी में ले जाते हैं। इसीलिये इन्हें हेरेडिटरी वेहिकल्स (hereditary vehicles) कहते हैं।

संख्या (Number) - उच्च श्रेणी के जन्तुओं तथा पौधों की सोमेटिक कोशिकाओं में उपस्थित क्रोमोसोम्स को डिप्लॉयड या सोमेटिक (diploid or somatic) जबकि इनके अण्डाणुओं और शुक्राणुओं (eggs and sperms) में उपस्थित सैट को हैप्लॉयड सैट कहते हैं तथा इसे N से निरूपित करते हैं। क्रोमोसोम्स के हैप्लॉयड सैट को जीनोम (genome) कहते हैं। इस प्रकार डिप्लॉयड सैट (2N) में दो जीनोम होते हैं। अतः जाइगोट में एक जीनोम अण्डाणु के द्वारा मादा से दूसरा जीनोम शुक्राणु के द्वारा नर से आता है।

जन्तुओं और पौधों की प्रत्येक जाति (species) में क्रोमोसोम्स की संख्या निश्चित होती है अर्थात् एक ही जाति के जन्तुओं की सोमेटिक कोशिकाओं में डिप्लॉयड क्रोमोसोम्स की संख्या एक ही होगी। लेकिन इनकी संख्या अलग-अलग जातियों के जन्तुओं में अलग-अलग होगी। क्रोमोसोम्स की सबसे कम संख्या ऐस्केरिस मैगेलोसिफेला (Ascaris megalocephala) में पायी जाती है जिसकी प्रत्येक सोमेटिक कोशिका में डिप्लॉयड (2N) क्रोमोसोम्स की संख्या दो (एक जोड़ी) तथा गैमिटिक कोशा में हैप्लॉयड (N) संख्या एक होती है। बीलर (Belar, 1926) के अनुसार क्रोमोसोम्स की सबसे अधिक संख्या प्रोटोजोअन, रेडियोलेरियन आलौकेन्था (Aulocantha) में पायी जाती है जिसमें क्रोमोसोम्स की संख्या 1600 होती है। मनुष्य की प्रत्येक सोमेटिक कोशिका में क्रोमोसोम्स की 2N संख्या 46 तथा ' गैमीटिक कोशिका में N संख्या 23 होती है। कोशिका के न्यूक्लियस में उपस्थित क्रोमोसोम्स की सम्पूर्ण संख्या को सम्मिलित रूप से क्रोमोसोम कॉम्पलीमेण्ट या कैरियोटाइप (Chromosome Complement or Karyotype) कहते हैं।

संरचना (Structure) - कोशिका विभाजन की मेटाफेज अवस्था में क्रोमोसोम्स न्यूक्लियस में अधिक स्पष्ट दिखाई देते हैं। इस अवस्था में प्रत्येक क्रोमोसोम लम्बी आकृति का दिखाई देता है। इसमें पाये जाने वाले प्रमुख भाग निम्नलिखित हैं-

1. पैलिकिल तथा मैट्रिक्स (Pellicle and Matrix) - प्रत्येक क्रोमोसोम एक श्यान तथा एक्रोमेटिक (viscous and acromatic) द्रव पदार्थ से घिरा हुआ रहता है जिसे मैट्रिक्स कहते हैं। मैट्रिक्स बाहर से एक पतली मैम्ब्रेन से घिरी रहती है जिसे पैलिकिल कहते हैं। यह दोनों ही नॉन- जेनेटिक पदार्थ (non-genetic material) से बने होते हैं। कोशिका विभाजन में क्रोमोसोम्स के चारों ओर यह इन्सुलेटिंग शीथ (insulating sheath) की तरह कार्य करती है।

2. क्रोमेटिड्स (Chromatids) - प्रत्येक क्रोमोसोम दो समान सर्पिलाकार कुण्डलित क्रोमेटिड्स या अर्द्ध-कोमोसोम से मिलकर बना होता है। क्रोमोसोम के 'ये दोनों क्रोमेटिड्स एक बिन्दु पर जुड़े रहते हैं, जिसे सेण्ट्रोमियर = काइनेटोकोर = प्राइमरी कॉन्सट्रिक्शन (centromere = kinetochore = primary constriction) कहते हैं। यह क्रोमोसोम को दो भागों या भुजाओं (limbs) में विभाजित करता है। क्रोमोसोम का प्रत्येक क्रोमेटिड दो पतले क्रोमेटिन धागों से मिलकर बनता है जिन्हें क्रोमोनेमेटा (chromonemata or chromonema) कहते हैं जो एक-दूसरे के बिल्कुल पास-पास सटे रहते हैं। प्रत्येक क्रोमोनिमेटा के ऊपर सम्पूर्ण लम्बाई में छोटे-छोटे लम्प्स (lumps) स्थित होते हैं जिन्हें क्रोमोमियर्स (chromomeres) या जीन बियरिंग (gene bearing) भाग कहते हैं।

 

2657_13_30

गुणसूत्र की संरचना

3. सेण्ट्रोमियर (Centromere) - सेण्ट्रोमियर क्रोमोसोम का अत्यन्त महत्वपूर्ण भाग होता है जो क्रोमोसोम की आकृति को निर्धारित करता है। यह क्रोमोसोम का वह स्थान है जहाँ पर मेटाफेज अवस्था के समय कुछ फाइबर जिन्हें स्पिण्डिल फाइबर्स (spindle fibres) कहते हैं, जुड़ते हैं। मेटाफेज के अन्त में सेण्ट्रोमियर दो भागों में विभाजित हो जाता है। अतः मेटाफेज में एक क्रोमोसोम में दो क्रोमेटिड्स होते हैं परन्तु एनाफेज में एक क्रोमोसोम में केवल एक ही क्रोमेटिड होता है। यह क्रोमोसोम में उस स्थान पर स्थित होता है जहाँ क्रोमोसोम की दोनों भुजाएँ एक-दूसरे से मिलती हैं। सामान्य दशा में यह क्रोमोसोम में दिखाई नहीं देता है। लेकिन इसकी स्थिति क्रोमोसोम में उपस्थित कॉन्सट्रिक्शन के द्वारा ज्ञात हो जाती है। क्रोमोसोम के इस कॉन्सट्रिक्शन को जो सेण्ट्रोमियर के चारों ओर होता है, प्राइमरी कॉन्सट्रिक्स कहते हैं। सेण्ट्रोमियर की रचना अत्यधिक जटिल होती है। यह तीन जोन्स (zones) बाहरी, मध्य तथा भीतरी (outer, middle and inner) से मिलकर बना होता है जो डुप्लीकेट संख्या में होते हैं। कोशिका विभाजन में क्रोमोसोम्स का स्पिण्डिल (spindle) से सम्बन्ध मध्य जोन के द्वारा होता है। सेण्ट्रोमियर में DNA की मात्रा कम पायी जाती है। सेण्टोमीयर की संख्या तथा इसकी स्थिति विभिन्न क्रोमोसोम्स में भिन्न-भिन्न होती है, किन्तु एक ही जाति के जन्तुओं की कोशिकाओं के क्रोमोसोम्स में इसकी स्थिति तथा संख्या निश्चित होती है। सेण्ट्रोमियर की संख्या के ऊपर क्रोमोसोम्स को निम्न प्रकार से विभाजित किया जा सकता है।

(i) मोनोसेण्ट्रिक (Monocentric) - क्रोमोसोम्स में एक सेण्ट्रोमियर होने पर वह मोनोसेण्ट्रिक कहलाता है।
(ii) डाइसेण्ट्रिक (Dicentric) - जब क्रोमोसोम में दो सेण्ट्रोमियर्स होते हैं तो वे डाईसेण्ट्रिक कहलाते हैं।
(iii) पालीसेण्ट्रिक (Polycentric) - क्रोमोसोम में जब दो से अधिक सेण्ट्रोमियर्स पाये जाते हैं तो वे पॉलीसेण्ट्रिक कहलाते हैं, जैसे- ऐस्केरिस मैगेलोसिफेला के क्रोमोसोम्स।

सेण्ट्रोमियर की स्थिति के आधार पर क्रोमोसोम्स निम्न प्रकार के होते हैं -

(a) टीलोसेण्ट्रिक (Telocentric) इस प्रकार के क्रोमोसोम्स में सेण्ट्रोमीयर सिरे पर स्थित होता है, अतः यह क्रोमोसोम केवल एक भुजा वाला होता है।

 

2657_14_31

सेन्ट्रोमियर की स्थित के अनुसार गुणसूत्रों के प्रकार

(b) एक्रोसेण्ट्रिक (Acrocentric) - इनमें सेण्ट्रोमियर क्रोमोसोम के सिरे के समीप स्थित होता है। इन क्रोमोसोम में एक भुजा छोटी व एक बड़ी होती है।
(c) सब- मेटासेण्ट्रिक (Sub-metacentric) - इसमें सेण्ट्रोमियर क्रोमोसोम के मध्य से कुछ हटकर स्थित होता है। इन क्रोमोसोम्स में दोनों भुजाओं की लम्बाई असमान होती है।
(d) मेटासेण्ट्रिक (Metacentric) - इनमें सेण्ट्रोमियर क्रोमोसोम के मध्य स्थित होता है। क्रोमोसोम्स 'V' के आकार के होते हैं तथा इनमें दोनों भुजाएँ लम्बाई में समान होती हैं।

4. सैकण्डरी कॉन्सट्रिक्शन (Secondary Constriction) - प्राइमरी कॉन्सट्रिक्शन के अतिरिक्त क्रोमोसोम में एक या एक से अधिक सैकण्डरी कॉन्सट्रिक्शन्स पाये जाते हैं जो इसकी एक या दोनों भुजाओं के सिरे की ओर स्थित होते हैं। प्रायः क्रोमोसोम की एक भुजा में एक ही सैकण्डरी कॉन्सट्रिक्शन होता है। इण्टरफेज अवस्था में यह न्यूक्लियोलस के निर्माण में सहायता करता है। इसलिये इन कॉन्सीट्रकशन को न्यूक्लिओलर ऑर्गेनाइजिंग क्षेत्र कहते हैं।

5. सेटेलाइट (Satellites) - कुछ क्रोमोसोम्स में सेकेण्डरी कॉन्सट्रिक्शन क्रोमोसोम्स की भुजाओं के सिरे की ओर एक स्पष्ट गोलाकार खण्ड का निर्माण करते हैं जिन्हें सेटेलाइट या सेटेलाइट बॉडीज (satellite bodies) कहते हैं। जिन क्रोमोसोम्स में सेटेलाइट होता है, उन्हें SAT क्रोमोसोम्स कहते हैं।

6. टीलोमीयर्स (Telomeres) - मुलर (Muller, 1939) के अनुसार क्रोमोसोम के विशिष्ट टर्मिनल सिरे (terminal ends) टीलोमियर्स कहलाते हैं। टीलोमियर्स में विशिष्ट प्रकार के गुण पाये जाते हैं क्योंकि ये सिरे क्रियात्मक भिन्नता एवं ध्रुवता प्रदर्शित करते हैं। ये क्रोमोसोम्स को स्थिरता प्रदान करते हैं।

क्रोमोसोम्स की सूक्ष्म संरचना (Fine Structure of Chromosome) - मेटाफेज अवस्था में क्रोमोसोम लाइट माइक्रोस्कोप में देखने पर एक ठोस धागे की तरह की रचना के रूप में दिखाई देता है जिसमें केवल सेण्ट्रोमियर, कॉन्सट्रिक्शन तथा सेटेलाइट आदि दिखाई देते हैं। परन्तु इलेक्ट्रॉन माइक्रोस्कोप में देखने पर इसकी सभी सूक्ष्म रचनाओं का ज्ञान हो जाता है। इलेक्ट्रॉन माइक्रोस्कोप में देखने पर प्रत्येक क्रोमोसोम मेटाफेज अवस्था में पूरी लम्बाई में एक कुण्डलित (coiled) फिलामेण्ट की तरह लगता है जिसको बैज्डोब्स्काई (Vejdovsky) ने 1912 में क्रोमोनिमा या क्रोमैटिड्स का नाम दिया। कॉफमैन (Kaufman, 1948) तथा स्क्रेडर (Schrader, 1949) के अनुसार, प्रत्येक क्रोमोसोम में कोशिका विभाजन के प्रारम्भ में क्रोमोनिमा की संख्या एक तथा विभाजन की आगे की अवस्थाओं में क्रोमोसोम में इसकी संख्या दो या दो से अधिक हो सकती है।

1. पैरानैमिक कोइल्स (Paranemic Coils) - इस प्रकार के कोइल्स में क्रोमोसोम की क्रोमोनिमल फिलामेण्ट्स को आसानी से अलग कर सकते हैं।

2. प्लैक्टोनैमिक कोइल्स (Plectonemic Coils) - इसमें क्रोमोनिमल फिलामेण्ट्स कसकर कुण्डलित (coiled) रहते हैं तथा इनको आसानी से अलग नहीं किया जा सकता।

क्रोमोमियर (Chromomeres) - कोशिका विभाजन की मेटाफेज अवस्था के अन्तर्गत क्रोमोसोम के क्रोमोनिमेटा एक नैक्लेस या माला की तरह दिखाई देते हैं अर्थात् उनके ऊपर थोड़ी-थोड़ी दूरी पर कुछ फूले या दाने की तरह तथा सँकरे क्षेत्र स्थित होते हैं जिनका आकार तथा स्थिति निश्चित होती है। क्रोमोनिमेटा के इन फूले या दानेदार क्षेत्रों को क्रोमोमीयर्स तथा सँकरें क्षेत्रों को इण्टर क्रोमोमियर्स कहते हैं।

...Prev | Next...

<< पिछला पृष्ठ प्रथम पृष्ठ अगला पृष्ठ >>

    अनुक्रम

  1. प्रश्न- कोशा कला की सूक्ष्म संरचना जानने के लिए सिंगर और निकोल्सन की तरल मोजैक विचारधारा का वर्णन कीजिए।
  2. प्रश्न- कोशिका सिद्धान्त से आप क्या समझते हैं? प्राणि कोशिका का नामांकित चित्र बनाइए तथा पाँच कोशिका उपांगों के मुख्य कार्यों का वर्णन कीजिए।
  3. प्रश्न- निम्नलिखित वैज्ञानिकों पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए - (i) एन्टोनी वान ल्यूवेन हॉक (ii) श्लीडेन तथा श्वान्स
  4. प्रश्न- अन्तरकोशिकीय संचार या कोशिका कोशिका अन्तर्क्रिया पर टिप्पणी लिखिए।
  5. प्रश्न- कोशिका-एडहेसन का वर्णन कीजिए।
  6. प्रश्न- निम्नलिखित पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए - (i) माइक्रोट्यूब्ल्स (ii) माइक्रोफिलामेन्टस (iii) इन्टरमीडिएट फिलामेन्ट
  7. प्रश्न- माइटोकॉण्ड्रिया की संरचना व कार्यों का वर्णन कीजिए।
  8. प्रश्न- एण्डोप्लाज्मिक रेटीकुलम की संरचना तथा कार्यों का विस्तृत वर्णन कीजिए।
  9. प्रश्न- राइबोसोम की संरचना एवं कार्यों का संक्षेप में वर्णन कीजिए।
  10. प्रश्न- परऑक्सीसोम पर टिप्पणी लिखिए।
  11. प्रश्न- वेंकटरमन रामाकृष्णन पर टिप्पणी लिखिए।
  12. प्रश्न- बाह्य प्रोटीन और समाकल प्रोटीन कोशिका कला की पारगम्यता को किस प्रकार प्रभावित करती हैं?
  13. प्रश्न- हरितलवक और माइटोकॉण्ड्रिया में मिलने वाले समान लक्षणों का वर्णन कीजिए।
  14. प्रश्न- परॉक्सीसोम किन कोशिकांगों के साथ मिलकर प्रकाशीय श्वसन (फोटोरेस्पिरेशन) की क्रिया सम्पन्न करता है? प्रकाशीय श्वसन के जैविक कार्यों की समीक्षा प्रस्तुत कीजिए।
  15. प्रश्न- केन्द्रक की संरचना का चित्र सहित वर्णन कीजिए।
  16. प्रश्न- उपयुक्त आरेखों के साथ गुणसूत्र आकारिकी व परासंरचना का वर्णन कीजिए।
  17. प्रश्न- “गुणसूत्रों की विशेष किस्में” विषय पर एक निबन्ध लिखिए।
  18. प्रश्न- न्यूक्लिक अम्ल क्या होते हैं? डी.एन.ए. की संरचना तथा प्रकृति का वर्णन कीजिए।
  19. प्रश्न- वाट्सन तथा क्रिक के द्वारा प्रस्तुत डी. एन. ए. की संरचना का वर्णन कीजिए तथा डी. एन. ए. के विभिन्न प्रकार बताइए।
  20. प्रश्न- राइबोन्यूक्लिक अम्लों की रचना का वर्णन कीजिए तथा इसके जैविक एवं जैव-रासायनिक महत्व पर प्रकाश डालिए।
  21. प्रश्न- मेसेल्सन एवं स्टेहल के उस प्रयोग का वर्णन कीजिए जो अर्द्ध-संरक्षी डी. एन. ए. पुनरावृत्ति को प्रदर्शित करता है।
  22. प्रश्न- जेनेटिक कोड पर टिप्पणी लिखिए।
  23. प्रश्न- गुणसूत्रों की रचना एवं प्रकार का वर्णन कीजिए।
  24. प्रश्न- न्यूक्लिओसोम का वर्णन कीजिए।
  25. प्रश्न- सहलग्नता क्या है? उचित उदाहरण देते हुए इसके महत्त्व की चर्चा कीजिए।
  26. प्रश्न- क्रॉसिंग ओवर को उदाहरण सहित समझाइए तथा इसके महत्व पर प्रकाश डालिए।
  27. प्रश्न- सेण्ट्रोसोम की परिभाषा लिखिए।
  28. प्रश्न- क्रोमेटिन के प्रकारों को बताते हुए हेटेरोक्रोमेटिन को विस्तार से समझाइये।
  29. प्रश्न- किसी एक प्रायोगिक साक्ष्य द्वारा सिद्ध कीजिये कि डी.एन.ए. ही आनुवांशिक तत्व है।
  30. प्रश्न- गुणसूत्र पर पाये जाने वाले विभिन्न अभिरंजन और पट्टिका प्रतिमानों का वर्णन कीजिए।
  31. प्रश्न- B गुणसूत्र का संक्षेप में वर्णन कीजिए।
  32. प्रश्न- डी.एन.ए. और आर.एन.ए. में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
  33. प्रश्न- RNA कौन-सा आनुवंशिक कार्य DNA की तरह पूरा करता है?
  34. प्रश्न- नीरेनबर्ग तथा एच.जी.खोराना के योगदान का वर्णन कीजिए।
  35. प्रश्न- क्या RNA का एक स्ट्रेण्ड दूसरा स्ट्रेण्ड संश्लेषित कर सकता है?
  36. प्रश्न- DNA की संरचना फॉस्फोरिक एसिड, पेन्टोज शर्करा तथा नत्रजन क्षार से होती है। इसके वस्तुतः आनुवंशिक तत्व कौन से हैं?
  37. प्रश्न- वाटसन एण्ड क्रिक पर टिप्पणी लिखिए।
  38. प्रश्न- DNA की पुनरावृत्ति में सहायक एन्जाइमों का वर्णन कीजिए।
  39. प्रश्न- कोशिका चक्र से आप क्या समझते हैं? इण्टरफेज में पायी जाने वाली कोशिका चक्र की विभिन्न प्रावस्थाओं का वर्णन कीजिए।
  40. प्रश्न- समसूत्री कोशिका विभाजन का विस्तारपूर्वक वर्णन कीजिए तथा समसूत्री के महत्व पर एक टिप्पणी लिखिए।
  41. प्रश्न- अर्धसूत्री कोशिका विभाजन का सविस्तार वर्णन कीजिए तथा इसके महत्व का उल्लेख कीजिए।
  42. प्रश्न- समसूत्री तथा अर्धसूत्री विभाजन में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
  43. प्रश्न- एक संकर संकरण क्या है? कम से कम दो उदाहरणों को बताइए।
  44. प्रश्न- स्वतन्त्र अपव्यूहन के नियम को समझाइए।
  45. प्रश्न- एक उपयुक्त उदाहरण देते हुए अपूर्ण प्रभाविकता पर एक टिप्पणी लिखिए।
  46. प्रश्न- जन्तुओं में लिंग निर्धारण की विभिन्न विधियों का वर्णन कीजिए।
  47. प्रश्न- मानव में लिंग निर्धारण कैसे होता है?
  48. प्रश्न- लिंग निर्धारण में प्राकृतिक कारकों के प्रभाव का उदाहरण सहित विस्तृत वर्णन कीजिए।
  49. प्रश्न- वंशानुगत तथा आनुवंशिकी में अन्तर बताइए।
  50. प्रश्न- आनुवंशिकी का जनक किसको वस्तुतः कहा जाता है?
  51. प्रश्न- समप्रभाविता की वंशागति को समझाइए।
  52. प्रश्न- “समलक्षणी जीवों की जीनी संरचना भिन्न हो सकती है। यह कथन सही है अथवा गलत? क्यों?
  53. प्रश्न- ग्रीगर जॉन मेण्डल के योगदान को रेखांकित कीजिए।
  54. प्रश्न- कौन-सा कोशिका विभाजन गैमीट पैदा करता है?
  55. प्रश्न- स्यूडोडोमिनेंस पर टिप्पणी लिखिए।
  56. प्रश्न- टेस्ट क्रॉस एवं बैक क्रॉस में अन्तर बताइए।
  57. प्रश्न- टेस्ट क्रॉस तथा बैक क्रॉस को समझाइए।
  58. प्रश्न- मानव में बार बॉडी के महत्व को समझाइये।
  59. प्रश्न- लिंग प्रभावित वंशागति एवं लिंग सीमित वंशागति में अन्तर बताइए।
  60. प्रश्न- लिंग सहलग्न, लिंग प्रभावित और लिंग सीमाबद्धित लक्षणों के बीच सोदाहरण विभेदकीजिए।
  61. प्रश्न- मेरी एफ. लिओन की परिकल्पना समझाइए।
  62. प्रश्न- कारण स्पष्ट कीजिए कि नर मधुमक्खी में शुक्राणुओं का निर्माण समसूत्री विभाजन द्वारा क्यों होता है?
  63. प्रश्न- ZW टाइप लिंग निर्धारण पर टिप्पणी लिखिए।
  64. प्रश्न- पक्षियों में लिंग निर्धारण प्रक्रिया का वर्णन कीजिए।
  65. प्रश्न- स्तनधारी मादा की शुरूआती अवस्था में कौन-सा X क्रोमोसोम हेट्रोक्रोमेटाइज हो जाता है, माता का या पिता का?
  66. प्रश्न- मल्टीपिल ऐलीलिज्म पर एक निबन्ध लिखिए।
  67. प्रश्न- Rh-तत्व क्या है? इसके महत्व एवं वंशागति का वर्णन कीजिए।
  68. प्रश्न- जीन की अन्योन्य क्रिया से आप क्या समझते हैं? उदाहरणों की सहायता से जीन की अन्योन्य क्रिया की विधि का वर्णन कीजिए।
  69. प्रश्न- सहलग्नता क्या है? उचित उदाहरण देते हुए इसके महत्त्व की चर्चा कीजिए।
  70. प्रश्न- क्रॉसिंग ओवर को उदाहरण सहित समझाइए तथा इसके महत्व पर प्रकाश डालिए।
  71. प्रश्न- एक स्त्री का रक्त समूह 'AB' व उसके बच्चे का रक्त समूह '0' है। कारण सहित स्पष्ट कीजिए कि उस बच्चे के पिता का रक्त समूह क्या होगा?
  72. प्रश्न- एक Rh + स्त्री, Rh पुरुष से शादी करती है। इनकी संतति में एरेथ्रोब्लास्टोसिस की क्या सम्भावना है?
  73. प्रश्न- लैंडस्टीनर के योगदान का वर्णन कीजिए।
  74. प्रश्न- रक्त समूह को समझाइए।
  75. प्रश्न- जिनोम को परिभाषित कीजिए।
  76. प्रश्न- 'गृह व्यवस्थापक जीन' या 'रचनात्मक जीन' के बारे में बताइये।
  77. प्रश्न- प्रभावी तथा एपीस्टेटिक जीन में क्या अन्तर है?
  78. प्रश्न- लीथल जीन्स पर टिप्पणी लिखिए।
  79. प्रश्न- पूरक जीन क्रिया को परिभाषित कीजिए।
  80. प्रश्न- गुणसूत्र पर पाये जाने वाले विभिन्न अभिरंजन और पट्टिका प्रतिमानों का वर्णन कीजिए।
  81. प्रश्न- हेट्रोक्रोमेटिन और उसके लक्षण पर टिप्पणी लिखिए।
  82. प्रश्न- क्रासिंग ओवर उद्विकास की प्रक्रिया है। स्पष्ट कीजिए।
  83. प्रश्न- लिंकेज ग्रुप पर टिप्पणी लिखिए।
  84. प्रश्न- सामान्य मानव कैरियोटाइप का वर्णन कीजिए।
  85. प्रश्न- गुणसूत्रीय विपथन पर एक निबन्ध लिखिए।
  86. प्रश्न- असुगुणिता किसे कहते हैं? विभिन्न प्रकार की असुगुणिताओं का वर्णन कीजिए तथा इनकी उत्पत्ति के स्रोत बताइए।
  87. प्रश्न- लिंग सहलग्न वंशागति से आप क्या समझते हैं? मनुष्य या ड्रोसोफिला के सन्दर्भ में इस परिघटना का उदाहरणों सहित विवेचन कीजिए।
  88. प्रश्न- क्लाइनफिल्टर सिंड्रोम कार्यिकी अथवा गुणसूत्र के असामान्य स्थिति का परिणाम है। स्पष्ट कीजिए।
  89. प्रश्न- मंगोलिज्म या डाउन सिन्ड्रोम क्या है?
  90. प्रश्न- टर्नर सिन्ड्रोम उत्पन्न होने के कारण एवं उनके लक्षण लिखिए।
  91. प्रश्न- समक्षार उत्परिवर्तन पर टिप्पणी लिखिए।
  92. प्रश्न- अनुप्रस्थ विस्थापन पर टिप्पणी लिखिए।
  93. प्रश्न- पोजीशन एफेक्ट क्या है? उदाहरण सहित वर्णन कीजिए।
  94. प्रश्न- लिंग सहलग्नता प्रक्रिया को समसूत्री नर व समसूत्री मादा में स्पष्ट कीजिए।
  95. प्रश्न- वर्णान्ध व्यक्ति रेलवे ड्राइवर क्यों नहीं नियुक्त किये जाते हैं?
  96. प्रश्न- मानव वंशागति के अध्ययन में क्या मुख्य कठिनाइयाँ हैं?
  97. प्रश्न- संक्रामक जीनों से आप क्या समझते हैं?
  98. प्रश्न- वंशावली विश्लेषण पर टिप्पणी लिखिए।
  99. प्रश्न- लिंग सहलग्न वंशागति के प्रारूप का वर्णन कीजिए।
  100. प्रश्न- अफ्रीकी निद्रा रोगजनक परजीवी की संरचना एवं जीवन चक्र का वर्णन कीजिए।
  101. प्रश्न- वुचरेरिया बैन्क्रोफ्टाई के वितरण, स्वभाव, आवास तथा जीवन चक्र का वर्णन कीजिए।
  102. प्रश्न- जिआर्डिया पर एक विस्तृत लेख लिखिए।
  103. प्रश्न- एण्टअमीबा हिस्टोलायटिका की संरचना, जीवन-चक्र, रोगजन्यता एवं नियंत्रण का वर्णन कीजिए।
  104. प्रश्न- अफ्रीकी निद्रा रोग क्या है? यह कैसे होता है? इसके संचरण एवं रोगजनन को समझाइए। इस रोग के नियंत्रण के उपाय बताइए।
  105. प्रश्न- फाइलेरिया क्या है? इसके रोगजनकता एवं लक्षणों तथा निदान का वर्णन कीजिए।
  106. प्रश्न- जिआर्डिया के प्रजनन एवं संक्रमित रोगों का विस्तार से वर्णन कीजिए।
  107. प्रश्न- जिआर्डिया में प्रजनन पर टिप्पणी लिखिए।
  108. प्रश्न- जिआर्डिया पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।

अन्य पुस्तकें

लोगों की राय

No reviews for this book